नगरपालिका सोई हुई है, कृपया अपनी और अपनों की रक्षा स्वयं करें
- SANTHAL PARGANA KHABAR
- 12 hours ago
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हादसे के बाद बेटों ने खुद नाले को घेरा ताकि कोई और न खोए अपनी मां
दुमका/नगर संवाददाता। शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि पर लगातार बारिश के बाद पानी के तेज बहाव में कविता शर्मा नामक महिला की दर्दनाक मौत ने पूरे शहर वासियांें को झकझोर दिया था। कविता घर लौट रही थीं, लेकिन शहर के मेन ड्रेनेज सिस्टम की लापरवाही उनकी जान ले ली। चार घंटों की मशक्कत के बाद जब उसकी बॉडी मिली तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बच्चांें के सिर से पिता का साथ पहले ही छूट चुका था. अब मां का साया भी सिर से उठ गया।

भाई ने कही थी दौड़ा-दौड़ कर पीटने की बात
इस घटना के बाद कविता के भाई बिप्लव शर्मा का फेसबुक पोस्ट काफी वायरल हुआ जिसमें उन्होंने बहन की मौत के लिए नगर परिषद की लापरवाही और रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी के लिए नगरपालिका के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हुए अधिकारियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटने की बात कही थी। इस पोस्ट को लेकर नगर परिषद के प्रशासक शीताशु खालको ने दुमका के नगर थाना में बिप्लव शर्मा के खिलाफ सनहा दर्ज करवाया था तो शर्मा ने भी खालकों के खिलाफ ऑन लाईन शिकायत की और फिर अपने फेसबुक पोस्ट को डिलीट कर दिया। इस बीच इस वायर पोस्ट पर ढेर सारे कमेंट आये और अधिकांश लोगों ने घटना के लिए नगरपालिका और उसके अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। इतना सब कुछ होने के बावजूद दुमका की नगर परिषद, हाईवे ऑथीरिटी और दुमका जिला प्रशासन असंवेदनशील बनी रही। अंततः श्राद्ध कर्म के बाद, बेटों विशाल और कुणाल शर्मा ने परिजनों के साथ मिलकर जो किया, उसने पूरे शहर का दिल जीत लिया। उन्होंने उस डेंजर जोन को खुद के खर्च से बांस और हरे कपड़े से घेर दिया। कटे हुए रास्ते को भरा ताकि कोई और इस दर्द से न गुज़रे। उनका कहना है कि ‘‘हमारी मां तो चली गई, लेकिन अगर हमारी कोशिश से किसी और की मां बच जाए, तो यही हमारी श्रद्धांजलि होगी।’’

हादसे के बाद भी नहीं जागा प्रशासन
दुमका। यह कदम न केवल एक संवेदनशील प्रयास है, बल्कि प्रशासन को आईना दिखाने वाला संदेश भी है क्योंकि हादसे के कई दिन बाद भी स्थायी मरम्मती कार्य नहीं हुआ। शहर में ऐसे कई नाले हैं जो जानलेवा बने हुए हैं। कहीं स्लैब नहीं तो कहीं साइड वॉल नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है या फिर सुरक्षा केवल कागज़ों तक सिमट कर रहेगी?

एनएच की है दुमका की बाईपास सड़क
दुमका। जिस सड़क के किनारे बने नाला में यह दुखद घटना हुई वह बाईपास सड़क एनएच की है। एनएच की 114 ए नामक सड़क शिकारीपाड़ा के रामपुरहाट बार्डर तक है। यही कारण है कि आरसीडी और नगर परिषद इस आधार पर इस सड़क के किनारे बने नाले के खुले होने के कारण हुए घटना की जिम्मेदारी लेने से पल्ला झाड़ लेते हैं। लोगों का कहना है कि इस नाले में शहर का पानी और गंदा पानी बहता है और अंततः जिला प्रशासन की जिम्मेदारी तो बनती ही है, कि सड़क और नाला सुरक्षित हो और किसी तरह की दुर्घटना न हो।

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