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दुमका के रास्ते चल रहा अवैध बालू परिवहन का बड़ा कारोबार

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जामताड़ा में 15 हजार, दुमका जिले मंें 20 हजार और पाकुड़ में वसूला जाता है 05 हजार रुपया

दुमका। दुमका के रास्ते झारखण्ड से पश्चिम बंगाल तक अवैध बालू परिवहन का बड़ा कारोबार चल रहा है। जामताड़ा जिले के बालु घाटों से शुरू होकर यह खेल दुमका और पाकुड़ के रास्ते पश्चिम बंगाल तक चलता है जिसमें सबका हिस्सा तय है। सूत्र बताते हैं कि बड़े ही संगठित तरीके से बालु लदे वाहनों का जामताड़ा, दुमका और पाकुड़ से पासिंग करवाया जाता है। पासर ने प्रत्येक जिले का अलग दर तय कर रखा है। जामताड़ा जिला से बालु के पासिंग के लिए प्रत्येक गाड़ी के एवज में 15 हजार रुपये लिये जातेे हैं। दुमका जिले से अवैध बालु लदे वाहनों को पास करवाने के एवज मंें 20 हजार रुपये प्रत्येक वाहन से लिया जाता है और पाकुड़ में यह राशि घटकर 05 हजार हो जाती है। इतना ही नहीं पाकुड़ और पश्चिम बंगाल बोर्डर पर बने चेक नाका से इन अवैघ बालू लदे हाईवों को पास करवाने के नाम पर 700 रुपये प्रत्येक हाईवा से वसूला जाता है। जैसे ही बालू लदा हाईवा पश्चिम बंगाल पहुंचता है कि उसका ई चालान बना लिया जाता है और इस तरह से दो नंबर का बालू एक नंबर बन जाता है। खास बात यह है कि झारखण्ड से निकाले गये बालू का राजस्च पश्चिम बंगाल सरकार को भुगतान किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो 18 अक्टूबर की रात डब्ल्यूबी- 57 एवं डब्ल्यूबी-65 रजिस्ट्रेशन वाले 100 (डाला बॉडी) का गाड़ी जामताड़ा से अवैध बालू लेकर निकल गया जो बेरोकटोक दुमका, काठीकुंड, गोपीकांदर, लिट्टीपाड़ा और पाकुड़ होते हुए पश्चिम बंगाल में दाखिल हो गया।

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नो इंट्री में 5 से 7 घंटे तक खड़े रहे अवैध बालू लदे ट्रक

दुमका। अवैध बालू से ओवरलोड डाला बॉडी वाले 100 से अधिक ट्रक पाकुड़ में नो इंट्री में 5 से 7 घंटे तक खड़े रहे पर किसी ने इन ट्रकों में तिरपाल से ढक कर रखे गये बालू को नहीं देखा और न ही इतनी बड़ी संख्या में बालू लदे ट्रकों को देखकर उसके चालान की मांग की।

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क्या वसूली के लिए किया गया था 21 हाईवा बालू लोड ट्रक जब्त

दुमका/नगर संवाददाता। झारखंड की रत्नगर्भा धरती एक बार फिर अवैध खनन को लेकर सुर्खियों में है। 16 अक्टूबर की देर शाम दुमका जिला के शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र में खनन टास्क फोर्स ने अवैध बालू परिवहन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 21 हाईवा ट्रक जब्त किए। खनन विभाग के खान निरीक्षक गौरव कुमार सिंह के आवेदन पर सभी चालकों, मालिकों और राधिका माइनिंग कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। खान निरीक्षक ने अपने आवेदन में अनुज्ञप्तिधारी अमित मंडल और धनबाद बायो वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड की भूमिका को संदिग्ध बताया है और मामले की गहन जांच की मांग की है।

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कौन है राधिका माइनिंग कंपनी का असली मालिक?

दुमका। कार्रवाई के बाद अब पूरे जिले में एक ही सवाल गूंज रहा है कि आखिर राधिका माइनिंग कंपनी का प्रोपराइटर कौन है? एफआईआर में केवल कंपनी का नाम दर्ज है, किसी व्यक्ति का नाम नहीं। प्रशासनिक अधिकारी इस विषय पर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। जांच के दौरान गूगल पर कंपनी से जुड़े दो पते मिले। पहला- खाता नंबर 15, प्लॉट नंबर 148, सुल्तानाटिकर, रामगढ़, खसिया, दुमका (जहां जामुन महतो का नाम दर्ज है)। दूसरा- हुसैनगंज 26, सरदारी सर्किल, आमजोरा, रानीश्वर, दुमका, जिसमें प्रोपराइटर का नाम नहीं है।

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कार्रवाई के साथ ही शुरू हुआ चालान निर्गत

दुमका। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा दुमका में जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक डीटीओ मृत्युंजय कुमार के नेतृत्व मंें खनन टास्क फोर्स की कार्रवाई शाम 7ः45 से 8ः30 बजे तक चली। इसी बीच राधिका माइनिंग कंपनी ने ई-चालान निर्गत करने की प्रक्रिया शुरू कर दिया। पहला चालान 7ः58 बजे और पंद्रहवां चालान 10ः54बजे जारी किया गया। जेम्स पोर्टल पर चालान जारी होने का समय देखकर अधिकारी भी हैरान रह गए। स्पष्ट है कि ट्रक जब्त होने के बाद बालू को “वैध” दिखाने का प्रयास किया गया।

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किसके संरक्षण में चल रहा है यह कारोबार?

दुमका। प्रश्न यह भी उठ रहा है कि आखिर किसके संरक्षण में इतनी निर्भीकता से यह पूरा खेल चल रहा है? सूत्र बताते हैं कि सत्ता का संरक्षण प्राप्त जामा के एक मंडल के द्वारा बालू से लेकर पत्थर और कोयला लदे वाहनों का जिले से पासिंग करवाया जाता है। ए मंडल नामक इस माफिया के बारे में बताया जाता है कि वह न सिर्फ पासिंग का मास्टर है बल्कि किसी भी अधिकारी को खरीद लेने का दावा करता है।

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21 ट्रक जब्त, लेकिन डिलीट कर दिया गया रिलीज़

दुमका। 16 अक्टूबर की देर शाम अवैध बालू लदे ट्रकों को रोकने और 21 वाहन समेत उसपर लदे 28,005 सीएफटी बालू को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की गयी। इस कार्रवाई की जानकारी पीआरडी विभाग ने छापेमारी के 24 घंटे बाद अपने आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप में साझा की, लेकिन कुछ ही मिनट बाद रिलीज़ डिलीट कर दी गई। न केवल जारी किये गये प्रेस विज्ञप्ति को डिलीट किया गया बल्कि साझा किये गये तस्वीरों को भी डिलीट फोर एवरीवन कर दिया गया। बाद में संशोधित प्रेस रिलीज़ जारी किया गया, जिसमें सभी 21 हाईवा के नंबर गायब थे। इतना ही नहीं नये रिलीज में राधिका माइनिंग कंपनी पर दर्ज एफआईआर से जुड़ा पूरा पैराग्राफ हटा दिया गया।

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किसको बचाने की कोशिस कर रही है पीआरडी ?

दुमका। पहले रिलीज़ में डीएमओ के हवाले से कहा गया था कि “अवैध खनन, भंडारण और परिवहन पर विभाग की पैनी नजर है।” लेकिन संशोधित संस्करण में यह हिस्सा नहीं था। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या किसी दबाव में यह संशोधन किया गया? क्या प्रशासन किसी “नाम” को बचाने की कोशिश कर रहा है? पहले रिलीज़ में थी ये जानकारी, जो अब गायब है। संशोधित रिलीज़ से यह सभी बिंदु हटाए जाने के बाद पूरे प्रकरण पर नया विवाद खड़ा हो गया है। पहला रिलीज़ जारी होते ही सोशल मीडिया पर कार्रवाई की सराहना हुई थी। लेकिन संशोधित रिलीज़ आने के बाद अब लोग सवाल उठा रहे हैं। “अगर कार्रवाई पारदर्शी थी, तो कंपनी का नाम और वाहन नंबर हटाने की क्या जरूरत थी?”

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क्या पासिंग गिरोह के इशारे पर की गयी कार्रवाई

दुमका। बड़ा सवाल यह है कि 45 मिनट के जांच के दौरान अवैध बालू लदे 21 हाईवा पकड़ लिये जाते हैं तो फिर ऐसी कार्रवाई इससे पहले या बाद में क्यों नहीं हुई। दुमका के रिंग रोड के मरम्मति के दौरान दो दिनों तक महारो से लेकर शिकारीपाड़ा तक मालवाहक वाहनों का जाम यह साबित करता है कि प्रत्येक दिन दुमका जिला से होकर कितनी बड़ी संख्या में मालवाहक वाहन गुजरते हैं। तो क्या इन 21 बालू लदे हाईवा को केवल इसलिए पकड़ा गया क्योंकि इसे पासिंग गिरोह ने स्वीकृति नहीं दी थी। पासिंग गिरोह जामताड़ा से दुमका के काठीकुण्ड और गोपीकांदर के रास्ते पाकुड़ होते हुए अवैध बालू लदे वाहनों का पासिंग करवा रहा था पर ये वाहन शिकारीपाड़ा के रास्ते अवैध बालू लेकर पश्चिम बंगाल जा रहे थे। इस पूरे मामले में प्रशासनिक स्तर पर जांच शुरू हो गई है। लेकिन सवाल यह है कि क्या पासिंग का यह खेल रूकेगा ?

 
 
 

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