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दिशोम गुरु शिबू सोरेन को दी गई श्रद्धांजलि

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केवल एक राजनीतिक व्यक्तित्व नहीं, आदिवासी समाज और झारखंड के जन-जन की पहचान थे गुरूजी

दुमका। झारखंड आंदोलनकारी सेनानी दुमका के तत्वावधान में रविवार को एक भव्य श्रद्धांजलि प्रार्थना सभा का आयोजन कर दशोम गुरु शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी गई। झारखंड आंदोलनकारी सेनानी के मुख्य संयोजक अशोक कुमार मुर्मू, सहित झारखंड आंदोलनकारी, प्रबुद्ध वर्ग, विभिन्न महाविद्यालयों के छात्र-छात्राएँ, मांझी बाबा, परगना, गुडित, ग्राम प्रधान, सभी धर्मों के धर्मगुरु और उनके अनुयायी कार्यक्रम में शामिल हुए। इस सभा ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि शिबू सोरेन केवल एक राजनीतिक व्यक्तित्व नहीं थे, बल्कि आदिवासी समाज और झारखंड के जन-जन की पहचान थे। सभा की शुरुआत शिबू सोरेन के संघर्षमय जीवन-प्रसंगों के संक्षिप्त परिचय से हुई। वक्ताओं ने बताया कि किस प्रकार उन्होंने अपने जीवन को झारखंड की अस्मिता और अधिकारों के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने सामाजिक शोषण, अन्याय और उपेक्षा के खिलाफ आवाज़ उठाई और झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई।

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हमेशा गरीबों, किसानों और मज़दूरों के बीच खड़े गुरूजी

वक्ताओं ने कहा कि गुरुजी ने न केवल एक आंदोलन खड़ा किया, बल्कि समाज के वंचित और आदिवासी वर्ग की दशा सुधारने के लिए आजीवन संघर्ष किया। वे हमेशा गरीबों, किसानों और मज़दूरों के बीच खड़े रहे। उनकी राजनीतिक यात्रा जितनी संघर्षों से भरी रही, उतनी ही प्रेरणादायक भी। आंदोलनकारियों ने कहा कि यह संकल्प केवल सभा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे लिखित रूप में सरकार तक पहुँचाया जाएगा, ताकि शिबू सोरेन के योगदान का राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान हो सके। श्रद्धांजलि सभा में बाबूराम मुर्मू, प्रमोद मंडल, बिकास दास, अरुण मंडल, मनोज पांडा, जियाराम राय, समाजसेवी राजेश कुमार सिंह, शष्ठी नंदी, हराधन दत्ता, दिलीप दत्ता, शुभु चक्रवर्ती, रामदिवस जायसवाल, भीम चौधरी और बुधन मरांडी आदि शामिल हुए।

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