झारखंड ने अपना सर्वप्रिय अभिभावक खो दिया
- SANTHAL PARGANA KHABAR
- Aug 5
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महानायक दिशोम गुरु वीर शिबू सोरेन को सादर श्रद्धांजलि
-अमिताभ झा के फेसबुक वाल से साभार।
झारखंड आंदोलन के सर्वकालीन महानायक दिशोम गुरु वीर शिबू सोरेन को सादर श्रद्धांजलि एवम अश्रुपूर्ण नमन। भगवान आपकी पुण्यात्मा को मोक्ष प्रदान करें।महानायक महानायक होते हैं।चाहे आप किसी भी दल के समर्थक हों,लेकिन एक तथ्य सर्वस्वीकार है और सदैव रहेगा कि झारखंड के परिपेक्ष में जो मास अपील गुरु जी की रही वो किसी भी अन्य नेता की नहीं। नर्सरी से स्नातक तक दुमका में शिक्षा ग्रहण करने के दौरान मैने झारखंड आंदोलन को बहुत करीब से महसूस किया है। दिल्ली उच्च न्यायालय के परिसर में आज जैसे ही गुरुजी के स्वर्गवास का पता चला ,मैं बेहद उदास हो गया। मैं उस फ्लैसबैक में चला गया जब मैं बाल भारती में एलकेजी का छात्र हुआ करता था। 1975 -1976 से ही मैंने गुरुजी के मास अपील को महसूस किया हूँ। एक विशेष धुन का नगाड़ा,,,,,एक साथ हजारों नगाड़े,,,एक विशेष धुन की ढोल,,,एक साथ हजारों ढोल,,,आसमान तक गूंजती आवाज,,,,उन दिनों बिना माइक की गगनभेदी आवाज,,,

ऐसा महा जन सैलाब मैने अपने जीवन में और कहीं भी और कभी भी नहीं देखा
"वीर शिबू जिंदाबाद====जिंदाबाद जिंदाबाद===झारखंड राज अलग करो ===अलग करो, अलग करो।"
दो फ़रवरी का दिन होता था और गुरुजी की मास अपील पर अंतहीन जुलूस की श्रृंखला। ऐसा प्रतीत होता था कि महामानव हवा को चीरते हुए आगे बढ़ रहे हैं...ऐसा महा जन सैलाब मैने अपने जीवन में और कहीं भी और कभी भी नहीं देखा है जैसा दो फरवरी को हर वर्ष देखता रहा।

झारखंड वासियों के लिए हमेशा खुला रहता था गुरुजी का दरवाजा।
श्रद्धेय गुरुजी अत्यंत सरल स्वभाव के थे। बेहद दयालु। दिल्ली में झारखंड वासियों और प्रवासियों के लिए गुरुजी का दरवाजा हमेशा खुला रहता था।
आज झारखंड ने अपना सर्व प्रिय अभिभावक खो दिया है।
श्रद्धेय दिशोम गुरुजी की पुण्यात्मा को सादर नमन।








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