कोयला कंपनी के विस्थापन के बीच पहाड़ों में लौटने की तैयारी में हैं पहाड़ियां
- SANTHAL PARGANA KHABAR
- 1 day ago
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पहाड़िया परिवार फिर जंगलों में बसने को तैयार
गोपीकांदर प्रखंड के कुंडापहाड़ी इलाके के पहाड़िया परिवार एक बार फिर पहाड़ों में लौटने की तैयारी में हैं। कोयला कंपनी द्वारा विस्थापन की प्रक्रिया तेज होने के बाद परिवारों ने जंगलों में वापस बसने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि यदि कंपनी उन्हें हटाएगी, तो वे अपनी पुरानी जीवनशैली में लौटकर पहाड़ों में ही रहेंगे।

कागजात मानने से कंपनी का इंकार
दिनेश्वर देहरी ने बताया कि नवेली उत्तर प्रदेश पॉवर प्रोजेक्ट लिमिटेड कुंडापहाड़ी, माहुलडाबर और चिरुडीह गांवों में कोयला उत्खनन करने वाली है। हालांकि, कुंडापहाड़ी गांव के जिन पहाड़िया परिवारों के पास जमीन के कागजात मौजूद हैं, कंपनी उन्हें वैध नहीं मान रही। कंपनी द्वारा प्रत्येक घर के बदले छह लाख रुपये देने की बात कही जा रही है, जिससे परिवार असंतुष्ट हैं।
पहले बसाए गए थे गांव में, अब फिर पहाड़ों की ओर रुख
स्थानीय लोगों के अनुसार, वर्षों पहले दुमका डीसी ने पहाड़िया परिवारों को पहाड़ों से नीचे उतारकर गांव में बसाया था। लेकिन कंपनी और प्रशासन के रवैये ने उन्हें दोबारा पहाड़ों में बसने के लिए मजबूर कर दिया है। परिवारों ने बताया कि वे पहाड़ों में लौटकर अपनी आजीविका के लिए खेती-बाड़ी करेंगे।
खेती से जुड़े कई फसलों पर निर्भर आजीविका
वर्तमान में पहाड़िया परिवार मकई, बाजरा, बरबट्टी, अरहर सहित कई तरह की फसलें उगा रहे हैं। देवेंद्र देहरी ने कहा कि वे जल्द ही कुंडापहाड़ी के पहाड़ पर स्थायी रूप से रहने के लिए घर बनाने का काम शुरू करेंगे। साथ ही सरकार और कंपनी से सड़क, बिजली, स्कूल और पानी की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग भी करेंगे।
पहाड़ पर अस्थायी टेंट में रहती है पूरी दिनचर्या
पहाड़िया समुदाय जब पहाड़ों में खेती करता है, तो उसका पूरा जीवन पहाड़ की चोटियों पर ही व्यतीत होता है। वे अस्थायी टेंट बनाकर रहते हैं, वहीं खेती की बुआई से लेकर कटाई तक का सारा काम करते हैं। पेयजल की व्यवस्था भी पहाड़ों में मौजूद झरनों के पानी से ही होती है, जिसे पीकर वे अपनी प्यास बुझाते हैं।














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