उपराजधानी के मंदिरों में सुहागिन महिलाओं ने सिंदूर खेलकर मां दुर्गे को किया विदा। दरअसल नवरात्र के बाद मां दुर्गा की विदाई का समय आ जाता है। आंखों में आंसू लिए सब मां को विदा करते हैं, लेकिन ऐसा करने से पहले खासकर महिलाएं मां को सिंदूर लगाकर मंगलकामना करती हैं। मां को भोग लगाकर उनका आर्शीवाद लिया जाता है। हर सुहागन यही मनोकामना करती है कि उसके सुहाग पर आने वाला हर संकट मां टाल दे।
माँ दुर्गा की बिदाई के पहले महिलाएं खासतौर पर सिंदूर खेला का आयोजन करती हैं। हर तरफ उड़ता सिंदूर माहौल को और भक्तिमय बना देता है। वहीं दुमका की महिलाओं ने सालों से चली आ रही मां की विदाई से पहले उन्हें सिंदूर लगाने की परंपरा निभाई है । खास कर ऐतिहासिक दुर्गामंदिर में सुबह से महिलाओं की भीड़ लगने लगी ।
इस मौके पर सभी एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर मस्ती भी करती है । मान्यता है कि दुर्गा मां अपने परिवार के संग मायके आई है और ससुराल जाते समय दशमी के दिन उनकी मांग भरी जाती है। बंगाली समाज में सिंदूर खेला की परंपरा सालों से चली आ रही है।हर सुहागन यही मनोकामना करती है कि उसके सुहाग पर आने वाला हर संकट मां दुर्गा टाल दें। एक तरफ मां की विदाई तो दूसरी तरफ सुहागिनें मन में उमंग और सौभाग्य की कामना लिए सिंदूर खेला खेलती हैं।
इस वर्ष कोरोना संक्रमण को लेकर सरकार द्वारा कई गाइडलाइन दिए गए है जिसका पालन करते हुए महिलाएं अपनी परम्परा और संस्कृति को लेकर सदा सुहागन की कामना लिए माँ दुर्गा की बिदाई में शामिल हुई और माँ दुर्गा से यही प्राथना किये कि माँ देश को कोरोना से मुक्ति दे और आने वाले वर्ष में माँ दुर्गा की भव्यता के साथ माँ का आगमन हो माँ दुर्गा सभी को समृद्धि और स्वस्थ रखे।
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