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प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और विभाजनकारी राजनीति को परास्त करना ही संताल हूल का पैगाम: बृंदा कारात


दुमका। सीपीएम की वरिष्ठ नेता बृन्दा कारात ने कहा कि 170 साल पहले 1855 में संताल हूल की ऐतिहासिक घटना हुई थी जिसमें ब्रिटिश साम्राज्यवाद के साथ-साथ इस इलाके के जमींदारों और महाजनों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका गया था जिसने 1857 में शुरू हुए देश को गुलामी से मुक्त करने की आज़ादी की लड़ाई की पृष्ठभूमि तय कर दी थी। हूल में आदिवासियों के अलावा इस क्षेत्र के तमाम गरीब भी शामिल हो गए। आम जनता के इस प्रतिरोध ने सात समुंदर पार बैठे ब्रिटिश शासकों को भी हिला दिया महान चिंतक और वैज्ञानिक समाजवाद के प्रणेता कार्ल मार्क्स ने संताल हूल को भारत का पहला जन विद्रोह बताया। इस लड़ाई में सिदो - कान्हू समेत 10 हजार से ज्यादा लोग शहीद हुए लेकिन इस विद्रोह (हूल) ने स्वतंत्रता संग्राम की भूमिका लिख दी, क्योंकि यह हूल जिसका नेतृत्व सिदो- कान्हू जैसे बीर योद्धा कर रहे थे ने इस इलाके के सभी गरीबों को एकजुट करने का काम किया।

सीपीएम के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि हूल के 170 साल बाद भी शोषण के खिलाफ संघर्ष जारी हैद्य इस शोषण और लूट के खिलाफ देश की मेहनतकश जनता आगामी 9 जुलाई को देशव्यापी हड़ताल करने जा रही हैद्य संताल परगना में भी विस्थापन, प्रदूषण और दुघर्टनाओं के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की तैयारी शुरू हो चुकी है। मौके पर एहतेशाम अहमद, सुभाष हेम्ब्रम, देवी सिंह पहाड़िया, अखिलेश झा, गजेंद्र कुमार, मो. मंसुर, अमरेश कुमार और महाश्वेता देवी मौजूद थे।


 
 
 

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