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दुमका में अतिक्रमण हटाओ अभियान पर उठ रहे गंभीर सवाल


दुमका। उपायुक्त के रूप में प्रभार ग्रहण करने के साथ ही अभिजीत सिन्हा उपराजधानी दुमका शहर को साफ-सुथरा और अतिक्रमण मुक्त करने की कवायद में जुट गये हैं। डीसी ने खुद शहर का भ्रमण किया है और नगर परिषद को शहर से सभी स्थायी एवं अस्थायी अतिक्रमण को हटाने के निर्देश दिये हैं। यही कारण है कि नगर परिषद प्रशासन इन दिनों लगातार अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाने में लगा है। नगरवासियों में यह उम्मीद जगी है कि वर्षों से जकड़े अतिक्रमण के जाल से शायद अब दुमका को मुक्ति मिल जायेगी। पर नगर परिषद के कथनी और करनी में फर्क देखा जा रहा है। फुटपाथ पर दुकान, गुमटी, ठेला, पटरी लगाकर परिवार के लिए दो जून की रोटी कमानेवालों की शामत आयी हुई है जबकि रसुखदार और पैसों व पहुंच के बल पर प्रशासन को अपनी जेब में रखने का दावा करनेवाले दुकानदार उपायुक्त के अतिक्रमण मुक्त शहर के सपने को मुंह चिढ़ा रहे हैं।

स्थायी अतिक्रमणकारियों पर नहीं की जा रही

दुमका। शहर में दो प्रकार के अतिक्रमण दिखते हैं। पहला अस्थायी अतिक्रमण, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले दतवन, सब्ज़ी, फल आदि विक्रेता शामिल हैं। वे दिनभर सड़क किनारे कारोबार कर शाम को चले जाते हैं। दूसरा स्थायी अतिक्रमण, जहां व्यापारी सरकारी ज़मीन पर बांस व तिरपाल/पालिथीन का स्ट्रक्चर खड़ा कर स्थायी दुकानें चला रहे हैं। हाल ही में उपायुक्त के निर्देश पर अतिक्रमण हटाओ अभियान सिंधी चौक से टीन बाजार चौक तक चलाया गया है। सिंधी चौक के बाबू वीर कुंवर सिंह गोलम्बर के चारों ओर प्रतिदिन लगने वाले सब्जी बाजार को पगला बाबा मंदिर के किनारे लगवाया गया पर एक दिन बार फिर से पुरानी व्यवस्था बहाल हो गयी। स्थानीय लोगों का आरोप है कि स्थायी अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।

सांसद, विधायक, डीसी के फर्जी पत्र पर की गयी बंदोवस्ती

कोविड के बाद ज़िला परिषद के मुख्य गेट के सामने और प्राईवेट बस स्टैंड से लेकर डीसी चौक तक कई फल दुकानें खोल दी गयी है पर इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। सिंधी चौक में बनया गया एक यात्री शेड का अतिक्रमण कर वहां अवैध रूप से दुकान खोल दिया गया था जिसे हाल ही में खाली करवाया गया है। पर शहर के पोखरा चौक पर स्थित यात्री शेड/रैन बसेरा में दुकान संचालित किया जा रहा है। जिला परिषद के सामने सरकारी जमीन पर दुकान संचालित कर रहे कुछ दुकादनदारों का दावा है कि नगर परिषद ने उन्हें यह स्थान डीसी के आदेश से बंदोवस्त किया है। यह एक बड़ा फर्जीवाडा है। दुमका नगर परिषद के एक कर्मचारी ने सांसद शिबू सोरेन, स्थानीय विधायक और उपायुक्त के कतिथ फर्जी पत्र के हवाले से रैन बसेरों को दुकान के रूप में बंदोवस्त कर दिया है जिसकी जानकारी सांसद/विधायक या डीसी को तक को नहीं है।

शहर में दो वेंडर मार्केट बनकर तैयार, एक भी दुकान आंवटित नहीं

दुमका। समाजसेवी ठाकुर श्याम सुंदर सिंह ने डीसी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सड़क किनारे लगने वाली अस्थायी दुकानों से दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है। उन्होंने सुझाव दिया कि जैसे कोरोना काल में गांधी मैदान में दुकानें लगवाई गई थीं या दिवाली-छठ पर यज्ञ मैदान में दुकानें लगती हैं, वैसे ही इन फुटपाथ विक्रेताओं के लिए भी एक स्थायी वैकल्पिक स्थल उपलब्ध कराया जाए। गौरतलब है कि शहर में दो वेंडर मार्केट बनाए गए हैं, परंतु उन्हें अब तक चालू नहीं किया गया है। इनमें से एक वेंडर जोन प्राईवेट बस स्टैण्ड के पीछे तो दूसरा आयुक्त कार्यालय के सामने बनाया गया है। यदि इन्हें चालू कर फुटपाथ दुकानदारों को स्थानांतरित किया जाए, तो अतिक्रमण का समाधान तो होगा ही, साथ ही गरीबों की आजीविका भी सुरक्षित रहेगी।


 
 
 

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