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पब्लिक सेक्टर का निजीकरण होने से आरक्षण समाप्त हो जाएगा - विजय हांसदा

Writer: Santhal Pargana KhabarSanthal Pargana Khabar


127 वां संशोधन विधेयक के पक्ष में बोले राजमहल सांसद


राजमहल लोकसभा के सांसद श्री विजय हांसदा ने सदन में अध्यक्ष महोदय के माध्यम से 127वां संशोधन विधेयक के समर्थन में बोलते हुए कहा कि मेरी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से इस विधेयक के समर्थन में खड़ा हुआ हूँ।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गए निर्णय और उसके बाद सरकार ने जो कदम उठाया है, इसलिए मैं इस विधेयक का समर्थन कर रहा हूँ। लेकिन इसमें एक बात को मैं पूर्व से ही इस सदन में रखते आ रहा हूँ। सत्ता पक्ष में बैठे लोग भी जो इस सदन में अपनी बातों को नहीं रख पा रहे हैं, मैं उनकी ओर से भी इस बात को रख रहा हूँ। आरक्षण की स्थिति को लेकर सरकार इतनी खुशी क्यों मना रही है। जब सभी पब्लिक सेक्टर को निजीकरण कर दीजिएगा तो उसके बाद आरक्षित कोटे का कोई फायदा ही नहीं होगा। तो आखिर में निजी क्षेत्रों में भी इसका क्या फायदा होने वाला है। इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। इस मामले को लेकर मैंने पूर्व में सरकार से जवाब भी मांगा था। सरकार द्वारा सिर्फ एक लाइन के जवाब में यह कहा गया कि इस निजीकरण से आरक्षण की स्थिति पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। लेकिन मैं चाहता हूं कि इसका विस्तृत जवाब दिया जाए कि आखिर में किस प्रकार सभी निजी क्षेत्रों में आरक्षण लागू रहेगा। सभी सेक्टर को निजी करण कर देने से आरक्षण कोटा में रहने के बाद भी कोई फायदा मिलने वाला नहीं है। हमारे गांव में एक कहावत है कि कोई बेटा यदि बाप दादा की संपत्ति को बेच कर अपना परिवार चलाएं तो उसे नालायक बेटा कहा जाता है। इस देश के निर्माताओं ने जो इतने दशकों में अनेकों संस्थाने बनाई और मजबूती दी, उसको आप लगातार बेचते जा रहे हैं। आप इस देश के लिए लायक बेटा साबित हो रहे हैं या नालायक इसे आपको भी समझने की जरूरत है। निजीकरण के क्षेत्र में सरकार की स्थिति को देखते हुए मुझे तो ऐसा लगता है कि संसद और विधानसभा का जो क्षेत्र है कुछ दिनों के बाद कहीं इसका भी निजी करण न कर दिया जाए।

आगे श्री हांसदा ने सदन में कहा कि मैं अपने झारखंड सरकार द्वारा केंद्र को भेजी गई एक मांग को रखना चाहता हूं। हमारे वहां आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड सरना कोड और आदिवासी कोड बोलकर माननीय हेमंत सोरेन जी की सरकार की ओर से केंद्र सरकार को भेजी गई है। इस कोड को लेकर पूर्व में मैंने भी केंद्र सरकार को लिखकर दिया था। जिसमें मुझे कहा गया कि यह संभव नहीं है, क्योंकि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग आदिवासी अपने-अपने कोड की मांग कर रहे हैं। मेरा सरकार से यह निवेदन है कि आप उन राज्यों में जहां से आदिवासी धर्म कोड की बात हो रही है, सभी को मिलाकर एक यूनिक धर्मकोड बनाने की मांग हम अपनी पार्टी की तरफ से करते हैं।


 
 
 

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