बेरोजगार हुए ढाई हजार सहायक पुलिस, सरकार ने नहीं दिया एक्सटेंसन
- SANTHAL PARGANA KHABAR
- 5 days ago
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8 वर्ष पूर्व हुई थी नियुक्ति, नक्सलियों से मुकाबले के लिए युवाओं को किया था बहाल
दुमका। संथ्रााल परगना को नक्सलवाद से मुक्त करने के लिए सरकार ने यहां के युवक एवं युवतियों को सहायक पुलिस के रूप में मानदेय पर अनुबंध के तहत नियुक्त किया था। अब जबकि सरकार ने संथाल परगना को उग्रवाद से मुक्त कर लिया है तो इन युवओं को दूध की मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया गया है। हमने आजादी पाई लेकिन लगभग 80 साल बाद आज भी जब अगस्त का महीना आता है तो झारखंड के कुछ युवा बेचैन हो जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें इस बात की चिंता रहती है कि 10 अगस्त के बाद उनकी नौकरी रहेगी या नहीं। यह संशय इसलिए क्योंकि प्रत्येक वर्ष इनका एक्सटेंशन का जब समय आता है तो वह तिथि होती है 10 अगस्त। इस बार वह तिथि बीत चुकी है और सरकार ने उन्हें एक्सटेंान नहीं दिया है। अब वह बेरोजगार है। मंगलवार को दुमका के आउटडोर स्टेडियम में बैठक कर इन युवकों ने आंदोलन की रणनीति बनायी। 8 वर्ष पूर्व तत्कालीन सरकार द्वारा राज्य के 12 उग्रवाद प्रभावित जिलों में लगभग ढाई हजार सहायक पुलिस कर्मियों को नियुक्त किया गया था। 10 हजार रुपए प्रतिमाह के मानदेय पर इन्हें नियुक्त किया गया था। भरोसा यह भी दिया गया था कि बेहतर कार्य करने वालों को स्थाई किया जाएगा। लेकिन 8 वर्ष बाद एक बार फिर हजारों सहायक पुलिस बेरोजगार हो गए है। 10 अगस्त को इनकी सेवा समाप्त हो गई क्योंकि सरकार के स्तर से इन्हें एक्सटेंशन नहीं मिला। सेवा विस्तार नहीं मिलने से निराश बेरोजगार हुए सहायक पुलिसकर्मी एक बार फिर आंदोलन की रणनीति बनाने में जुट गए है।

दुमका जिला में 200 सहायक पुलिस
दुमका जिला में भी लगभग दो सौ सहायक पुलिस की नियुक्ति ही थी। आउटडोर स्टेडियम में बेरोजगार हो चुके सहायक पुलिस ने बैठक की। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सरकार से मिलकर सेवा विस्तार के साथ साथ समस्या के स्थाई समाधान की मांग करेंगे। अगर बात नहीं बनी तो एक बार फिर रांची के मोरहाबादी मैदान में एकजुट होकर आंदोलन करेंगे। इनकी बस एक ही मांग है कि स्थाई समाधान हो। इनका कहना है कि 8 वर्षों में मानदेय दस हजार रुपए से बढ़ा कर 13 हजार रुपए किया गया लेकिन प्रत्येक वर्ष सेवा विस्तार देने में लगभग दो महीने लग जाता है। जिसका मानदेय इन्हें मिलता नहीं है। इस तरह देखा जाए तो आज भी 10 हजार रुपए में काम करना पड़ रहा है। इसलिए समस्या का स्थाई समाधान किया जाए।
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