
मृत्युभोज (भंडान) में शराब नही पिलाई ग्रामीणों ने कर दिया सामाजिक बहिष्कार
- SANTHAL PARGANA KHABAR
- Jun 10
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उड़ीशा के मयूरभंज जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां एक आदिवासी परिवार को सिर्फ इसलिए गांव से बहिष्कृत कर दिया गया क्योंकि उन्होंने अपने बुजुर्ग सदस्य की मृत्यु के बाद आयोजित भोज में पारंपरिक शराब ‘हंडिया’ नहीं परोसी । यह घटना सरात थाना क्षेत्र के केसापाड़ा गांव की है, जहां संथाल जनजाति से ताल्लुक रखने वाले 67 वर्षीय राम सोरेन की 27 मार्च को मृत्यु हो गई थी. एक माह बाद उनके बेटे संग्राम सोरेन ने परंपरा के अनुसार भोज आयोजित किया, लेकिन उन्होंने उसमें हंडिया नहीं परोसी. संग्राम का कहना है कि उनके पिता की मृत्यु शराब की लत के कारण हुई है इसलिए उन्होंने उनके भोज में हंडिया नहीं परोसी.
सिर्फ इस वजह से ग्रामीणों ने संग्राम, उनकी पत्नी लच्छा और तीन बच्चों को सामाजिक तौर पर बहिष्कृत कर दिया. परिवार को गांव के तालाब या ट्यूबवेल से पानी लेने नहीं दिया जा रहा है और दुकानों से सामान खरीदने तक पर रोक लगाई गई है. लच्छा ने बताया कि ग्रामीण न तो उनसे बात करते हैं और न ही किसी तरह का काम देते हैं. इससे परिवार का जीवन कठिन हो गया है.संग्राम की शिकायत के बाद पुलिस की टीम गांव पहुंची. थाना प्रभारी रमाकांत पात्रा ने ग्रामीणों को स्पष्ट शब्दों में समझाया कि किसी को भी सामाजिक रूप से बहिष्कृत करना कानूनन अपराध है. उन्होंने गांव वालों को दो दिन का समय दिया है ताकि आपसी बातचीत से मामला सुलझाया जा सके. यदि बात नहीं बनी तो पुलिस कानूनी कार्रवाई करेगी.
यह मामला वाकई में समाज में कुछ गहरे मुद्दों को उजागर करता है। परिवार का सामाजिक बहिष्कार सिर्फ इसलिए किया जाना कि उन्होंने शराब नहीं परोसी, यह सोचनीय है। खासकर जब संग्राम सोरेन ने अपने पिता की मृत्यु के कारण शराब से दूरी बनाने का फैसला किया, यह उनके लिए एक सकारात्मक कदम हो सकता था। शराब की लत से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु के बाद उस परंपरा को न अपनाना, शायद एक तरह से उस दुःखद घटना से निपटने का उनका तरीका था।
समाज का इस तरह की सजा देना, जहां तक पानी और रोज़मर्रा की चीजों को भी रोकने का मामला है, यह समाज के उन पुराने और कठोर नियमों को चुनौती देता है, जो लोगों के व्यक्तिगत निर्णयों को स्वीकार नहीं करते। यह सामाजिक सुधार की आवश्यकता की ओर इशारा करता है। और संग्राम जैसे लोगों का समाज में सम्मान बढ़ाना चाहिए
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