दुमका की दो आदिवासी लड़की नई दिल्ली में कर रही थी नौकरानी का काम
- SANTHAL PARGANA KHABAR
- Jul 25
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दोनों लड़कियों का किया गया रेस्क्यू, दुमका सीडब्ल्यूसी में किया गया प्रस्तुत
डीसी ने कहा दोनों का कस्तुरबा विद्यालय मंें करवाएंगे नामांकन, स्पॉन्सरशिप भी देंगे
दुमका। उपायुक्त दुमका अभिजीत सिन्हा के निदेशानुसार बाल तस्करी की शिकार बालिकाओं को एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र झारखंड भवन (सीआरसी) नई दिल्ली की सहायता से मुक्त कराये गये दुमका की दो आदिवासी लड़कियों को 25 जुलाई को दुमका सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत किया गया। स्वयं सेवी संस्थान जन साहस द्वारा सीडब्ल्यूसी एवं जिला बाल संरक्षण इकाई को सूचित किया गया था कि जिले के मानव तस्कर द्वारा बालिका का बाल तस्करी कर दिल्ली के प्लेसमेंट एजेंसी में बेच दिया गया है और बालिकाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्रा ने मामले की सूचना उपायुक्त को दी। उपायुक्त ने मामले को त्वरित संज्ञान में लेते हुए बाल तस्करी की शिकार बालिकाओं को सीआरसी नई दिल्ली की सहायता से मुक्त कराने का एडीएसएस एवं डीसीपीओ को निर्देश दिया। जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग की सहायक निदेशक सुचिता किरण भगत ने जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम गठित कर बाल तस्करी की शिकार बालिकाओं को एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र झारखंड भवन (सीआरसी) नई दिल्ली से प्राप्त कर बालिकाओं को सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत करने का निदेश दिया था।

5 व 7 हजार रुपये में करवाया जा रहा था नौकरानी का काम
दुमका के काठीकुण्ड और शिकारीपाड़ा की आदिवासी लड़कियों ने बताया कि उनसे दिल्ली में झाड़ु-पोछा का काम करवाया जाता था। इनमें से एक ने बताया कि उसे पांच हजार रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया गया था पर यही राशि कभी नहीं दी गयी। उसके साथ मारपीट भी किया जाता था। उसे घर नहीं जाने नहीं दिया जा रहा था। जब दुमका से इस बारे में शिकायत मिली तो वहां की पुलिस और सीडब्ल्यूसी ने छापेमारी कर उसका रेस्क्यू किया गया और उसके बाद से उसे वहां के बालगृह में रखा गया था। दूसरी लड़की ने बताया कि उसे 7 हजार रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया था। उपायुक्त ने कहा कि 10 हजार रुपये तक तो लड़कियां दुमका में रहकर कमा सकती हैं। उन्होंने दोनों लड़कियों को कौशल विकास से भी जोड़ने का निर्देश दिया।

साहेबगंज की दो लड़कियां व पाकुड़ का एक बालक भी लाया गया
जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चन्द्र ने कहा कि गठित टीम द्वारा सीआरसी नई दिल्ली की सहायता से दिल्ली के विभिन्न बाल गृहों से मुक्त कराये गये कुल पांच बच्चे को यथा दो दुमका, दो साहेबगंज एवं एक पाकुड़ जिला के बच्चे को प्राप्त कर सीडब्ल्यूसी दुमका में प्रस्तुत कर दिया गया है। बाल कल्याण समिति ने प्रस्तुत पांचों बालिकाओं को सीएनसीपी घोषित करते हुए अगले आदेश तक के लिए बाल गृह में आवासित कर दिया है। डीसीपीओ ने बताया कि बाल तस्करी करने वाले मानव तस्कर के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी है तथा एक मानव तस्कर को पुलिस द्वारा जेल भेज दिया गया है। गठित टीम में जिला बाल संरक्षण इकाई के श्रीमति दीपा साहू, प्रमिला टुडू, नैय्यर सुल्तान एवं जन साहस से रविन्द्र यादव व प्रेम मोहली ने अहम भूमिका निभाई।
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