ठगाते-ठगाते बच गए दुमका डीटीओ, आर्मी ऑफिसर बन किया फोन
- SANTHAL PARGANA KHABAR
 - 24 hours ago
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दुमका। साइबर अपराधी जहां पहले डर को ठगी का हथियार बनाते थे वहीं अब वे सेवा और दया भाव को हथियार बनाकर ठगी कर रहे हैं। इसके लिए वे लोगों के दिल में सेना प्रति जो सम्मान है उसका भी बेजा लाभ उठाने से बाज नहीं आ रहे हैं। झारखंड की उपराजधानी दुमका में खुद को सेना का कैप्टन बताकर 40 जवानों को रांची भेजने के लिए बस की व्यवस्था का आग्रह कर साइबर अपराधी ने जिला परिवहन पदाधिकारी को ठगने की कोशिस की पर नाकाम रहा। विभाग के अधिकारी, एक कर्मी और बस मालिक साइबर ठगों के जाल में फंसने से बच गए। जानकारी के अनुसार, दुमका के जिला परिवहन पदाधिकारी (डीटीओ) मृत्युंजय कुमार को एक अंजान मोबाइल नंबर से कॉल आया। कॉलर ने खुद को “कैप्टन भौरा सिंह” बताते हुए कहा कि आर्मी के 40 जवानों को रांची में एक आवश्यक बैठक में शामिल होना है, जिसके लिए बस की व्यवस्था की जानी चाहिए। डीटीओ ने स्पष्ट किया कि विभाग की ओर से सीधे बस नहीं दी जा सकती, लेकिन बस मालिक का नंबर उपलब्ध कराया जा सकता है। इसके बाद उन्होंने अपने अधीनस्थ कर्मी को कॉलर से संपर्क करने को कहा।

क्यूआर कोड भेजकर मांगा 1 रुपये का पेमेंट
कॉलर ने कर्मी से कहा कि बस की व्यवस्था करा दे, पूरा किराया तुरंत दे दिया जाएगा। उसने इसके लिए एक क्यूआर कोड भेजा और कहा कि बस बुकिंग की पुष्टि के लिए पहले 1 रुपये भेज दें। इससे परिवहन विभाग के कर्मी को कुछ शक हुआ। सतर्कता दिखाते हुए उसने बस मालिक को पूरी बात बताई और सलाह दी कि किसी भुगतान से पहले सावधानी बरते।

दिग्घी पहुंची बस, पर नहीं मिला कोई जवान
कॉल करने वाले ने बस मालिक से कहा कि सभी जवान सिद्धो-कान्हू-मुर्मू विश्वविद्यालय, दिग्घी के पास इंतजार कर रहे हैं। जब बस चालक वहां पहुंचा तो किसी भी तरह का आर्मी कर्मी या अधिकारी मौजूद नहीं था। इस तरह कर्मी और बस मालिक की सूझबूझ के कारण एक बड़ी साइबर ठगी का प्रयास असफल हो गया। जिला परिवहन पदाधिकारी मृत्युंजय कुमार ने बताया कि वे दुमका में नए पदस्थापित हैं और प्रारंभिक जानकारी के अनुसार ठगी का प्रयास बस मालिक को निशाना बनाकर किया गया था। उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और पुलिस साइबर अपराधियों की पहचान में जुटी है।








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