कंबोडिया में डिजिटल अरेस्ट गैंग का पर्दाफाश: 105 भारतीय समेत 3075 विदेशी नागरिक गिरफ्तार
- SANTHAL PARGANA KHABAR
- Jul 24
- 2 min read

नई दिल्ली
देश ही नहीं दुनियाभर में इन दिनों डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऑनलाइन स्कैम और डिजिटल फ्रॉड के खिलाफ कंबोडिया सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है. कंबोडिया में बड़े स्तर पर चल रहे साइबर फ्रॉड रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। भारत सरकार की अपील पर कार्रवाई करते हुए कंबोडियाई प्रशासन ने देश भर में छापेमारी कर 3075 विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। इनमें 105 भारतीय नागरिक भी शामिल हैं। भारत सरकार इनकी वापसी की प्रक्रिया में जुटी हुई है।

ऑनलाइन स्कैम का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क
यह कार्रवाई उस समय की गई जब भारत की सुरक्षा एजेंसियों को सूचना मिली कि कंबोडिया से बैठे साइबर ठग भारतीय नागरिकों को "डिजिटल अरेस्ट" जैसे हथकंडों से लाखों-करोड़ों की ठगी कर रहे हैं। इन स्कैम्स में लोगों को फर्जी कॉल करके डरा कर पैसों की मांग की जाती थी। यह अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम सिंडिकेट अब तक भारत में 7000 करोड़ रुपये की ठगी कर चुका है।
138 जगहों पर छापेमारी, हजारों गिरफ्तार
कंबोडियाई पुलिस ने एक साथ 138 स्थानों पर छापेमारी कर विदेशी नागरिकों को पकड़ा। गिरफ्त में आए नागरिकों की सूची इस प्रकार है:
1028 चीनी
693 वियतनामी
366 इंडोनेशियाई
105 भारतीय
101 बांग्लादेशी
82 थाई
57 कोरियाई
81 पाकिस्तानी
13 नेपाली
4 मलेशियाई
इसके अलावा फिलीपींस, नाइजीरिया, म्यांमार और युगांडा के नागरिक भी शामिल हैं।

बरामदगी और जब्त सामान
छापेमारी के दौरान पुलिस ने बड़ी मात्रा में कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, साथ ही ड्रग्स, हथियार, फर्जी पुलिस यूनिफॉर्म (भारतीय और चीनी), और ड्रग प्रोसेसिंग मशीनें जब्त की हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि ये गिरोह साइबर फ्रॉड के साथ-साथ अन्य आपराधिक गतिविधियों में भी शामिल थे।
मानव तस्करी और ज़बरदस्ती काम करवाने के आरोप
रिपोर्टों के मुताबिक, इन साइबर गैंग्स में कई भारतीयों को मानव तस्करी के माध्यम से बुलाया गया, जहां उन्हें जबरन ठगी जैसे कामों में लगाया गया। इस नेटवर्क का संचालन चीनी ऑपरेटरों द्वारा किया जा रहा था, जो कंबोडिया, लाओस, म्यांमार और वियतनाम जैसे देशों में सक्रिय हैं।
सरकार की सख्ती और कार्रवाई जारी
भारत सरकार इस पूरे मामले को लेकर गंभीर है और गिरफ्तार भारतीयों की सुरक्षित वापसी के प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही साइबर क्राइम नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से समन्वय कर जांच आगे बढ़ाई जा रही है।
यह घटना न सिर्फ एक बड़े साइबर ठगी नेटवर्क का खुलासा करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस तरह मानव तस्करी और डिजिटल अपराध का घातक गठजोड़ बनता जा रहा है।
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