top of page

रक्षा बन्धन पर शांतिनिकेतन के किस्से....


बंगाल विभाजन के समय हिन्दू-मुश्लिम "एकता की राखी" बाँध रहे थे

भारत की आजादी के संग्राम में कई त्योहारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जैसे :- गणेशोत्सव, दुर्गापूजा, रक्षा बंधन और भी त्योहार है जिनके माध्यम से ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी गई थी.


कविगुरु रवींद्रनाथ ठाकुर ने राखी उत्सव को भारत की एकता, अखण्डता और सामाजिक समरसता का विश्व प्रतीक बना दिया था. सन्दर्भ था बंगाल का विभाजन. अगस्त 1905 में लार्ड कर्जन ने हिन्दू मुस्लिम एकता को तोड़ने के लिए बंगाल का विभाजन किया था. ये विभाजन अक्टूबर 1905 में लागू होना था. और वो सावन का महीना था.


कविगुरु ने राखी को बंगाल के विभाजन के खिलाफ जनांदोलन में बदल दिया था. लाखो हिन्दू मुसलमान बंगाल की सड़कों पर उतर आए थे और एक दूसरे को "एकता की राखी" बांध रहे थे.

शांतिनिकेतन में आज भी कविगुरु द्वारा शुरू किया राखी उत्सव मनाया जाता है जिसे देखने पूरे विश्व से लोग आते है.


कविगुरु की कुछ कालजयी, अमर रचनाएं भी इसी दौर की रही है ..

कविगुरु की कुछ कालजयी, अमर रचनाएं भी इसी दौर की रही..1905 में कविगुरु ने "आमार सोनार बांग्ला" की रचना की जो आज बांग्लादेश का राष्ट्रगीत है..

"जन गण मन" फरवरी 1905 में प्रकाशित किया गया..और पहली बार 27/12/1911 को कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में गाया गया. बंगाल विभाजन के वक्त कविगुरु की एक और अमर रचना थी : "बांग्लार माटी, बांग्लार जल". जनता मशाल जुलूस के साथ ये कविता सारी रात गाती थी..


बंगाल का विभाजन के आन्दोलन का नेतृत्व कविगुरु कर रहे थे

कांग्रेस के जनांदोलन की वजह से 1911 में बंगाल का विभाजन रद्द हो गया था. कविगुरु ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया था. 1905 से 1911 तक के कांग्रेस अधिवेशनों ने आजादी के संग्राम को एक नई दिशा दी थी. कविगुरु की राखी ने पूरे देश मे एकता और देशप्रेम की भावना को जागृत कर दिया था..

अगर इतिहास में और पीछे जाए तो श्री कृष्ण और द्रौपदी का रक्षाबंधन, बादशाह हुमायूँ और महारानी कर्णावती का रक्षाबंधन जैसे प्रसंग हमे बताते है कि त्योहार समाज, समय और देश को एक सूत्र में पिरो देते है. देश को आज कविगुरु की राखी का उपहार दीजिये.



 
 
 

Comments


Post: Blog2 Post

Address

Shiv Sundari Road, Dumka, Jharkhand 814101

Contact

+917717793803

Follow

  • Facebook
  • YouTube
  • Twitter

©2021 by Santhal Pargana Khabar. All Rights Reserved

bottom of page