बेगूसराय के राहुल शिवाय को मिला ‘सतीश स्मृति सम्मान’
जमशेदपुर के डॉ0 नरेश अग्रवाल को ‘सतीश स्मृति विशेष सम्मान’
दुमका/वरीय संवाददाता। हिन्दी के साहित्यकार स्व0 सतीश चन्द्र झा की 93वीं जयंती पर आयोजित विचार गोष्ठी, कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि सिद्धो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर (डॉ0) सोनाझरिया मिंज ने साहित्यिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने में मंच के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ऐसी गतिविधियाँ हमें सांस्कृतिक रूप से एक-दूसरे के और करीब लाती है जिससे सामाजिक रिश्तों में दृढ़ता आती है। कार्यक्रम में बेगूसराय के राहुल शिवाय को उनकी रचना ‘मौन भी अपराध है’ के लिए ‘सतीश स्मृति सम्मान-2022 तथा जमशेदपुर के डॉ0 नरेश अग्रवाल को हिन्दी साहित्य की निरंतर सेवा के लिए ‘सतीश स्मृति विशेष सम्मान’ से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में स्मारिका ‘स्मृति-दर्पण’ एवं डॉ0 रामवरण चौधरी के द्वारा रचित ‘नाचा नूपुरों में कृष्ण’ का विमोचन भी किया गया। इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन स्व0 सतीश बाबू की पत्नी चम्पा देवी और प्रबुद्ध जनों द्वारा किया गया। ऋतुराज कश्यप व प्रतीक मिश्र ने सरस्वती वंदना तथा स्व0 सतीश बाबू की रचना पर बेहतरीन स्वरबद्ध प्रस्तुति की गई।
सतीश बाबू के पुत्र आशीष कुमार झा ने अपने स्वगात संबोधन में सतीश स्मृति मंच के अब तक के क्रियाकलापों की चर्चा की। उन्होंने युवाओं के मंच के साथ जुड़ाव पर कहा कि दुमका की सांस्कृतिक विरासत की उत्कृष्टता अभी आगे और निखरेगी। ‘सतीश स्मृति मंच’ के सचिव कुन्दन कुमार झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया जबकि मंच का संचालन अशोक कुमार सिंह ने किया। कार्यक्रम में दुमका, देवघर, गोड्डा, भागलपुर, बांका, बेगूसराय, पुनसिया आदि जगहों के कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कार्यक्रम में अमरेन्द्र सुमन, तुषार कांति सिन्हा, नूतन झा, अनिरुद्ध प्रसाद विमल, दीनानाथ, मोती प्रसाद, अनिल कुमार झा, डॉ0 हनीफ, श्याम राम, मोहित मयंक झा, इन्द्रज्योति राय, कैप्टन दिलीप कुमार झा, अनन्त लाल खिरहर, चतुर्भुज नारायण मिश्र, उत्तम कुमार दे, विश्वजीत राहा, नवीन चन्द्र ठाकुर, रोहित अम्बष्ट, शैलेन्द्र सिन्हा, राजीव नयन तिवारी, डॉ0 कृष्णानन्द सिंह, सर्वेश्वर द्वारी, डॉ0 सिकन्दर कुमार, पवन कुमार झा, सर्वजीत झा, विश्वजीत झा, अर्णव झा, संध्या झा, अदिती झा, मनोज केशरी, सुबीर बोस, शारदा झा, सविता झा, वन्दना श्रीवास्तव आदि शामिल हुए।
समृद्ध रचना ही साहित्य को रोजगारोन्मुख बनायेगी: नीलोत्पल मृणाल
दुमका। ‘‘साहित्य को रोजगारोन्मुख बनाने की चुनौतियाँ’’ विषय पर आयेाजित विचार गोष्ठी में अरुण सिन्हा ने कहा कि किसी देश के मूल्य और मोल की पहचान उसकी संस्कृति और साहित्य से होती है। जब रचनाकार उस रचना में जीवन दर्षन, चितन, मानवीय मूल्यों और मोल, मानवीय संवेदनाओं, हृदयगत भावनाओं को लिखता है तो वह स्वतः रोजगारोन्मुख बन जाती है। डॉ0 यदुवंष प्रणय ने भारतीय भाषाओं में रचे गए साहित्य में उसकी रोजगारोन्मुखता को विस्तार से बताया। अंजनी शरण ने कहा कि साहित्य को पूरा समय देकर ही उसे रोजगारोन्मुख बनाया जा सकता है। अभिशेक कुमार ने साहित्य को रोजगारोन्मुख बनाने के संदर्भ में सतत् प्रयत्नशीलता की आवश्यकता बतायी। युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित नीलोत्पल मृणाल ने कहा कि साहित्य के साथ रोजगार व व्यवसाय जैसे शब्दों को नकारात्मक रूप में लेने, सोचने और समझने की मानसिकता से हमें बाहर निकलना होगा। समृद्ध साहित्य-रचना ही साहित्य को रोजगारोन्मुख बनायेगी।
वीर सम्मान से सम्मानित किये गये शहीद जवान बैजनाथ किस्कू
दुमका। विशिष्ट अतिथि उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला द्वारा सीआरपीएफ के शहीद सिपाही जीडी बैजनाथ किस्कू (112 बटालियन) की पत्नी वीरनारी नीलू मरांडी को वीर सम्मान से सम्मानित किया गया। दुमका जिले के मसलिया थाना क्षेत्र के मनोहरचौक गांव के बैजनाथ किस्कू 7 जनवरी 2013 को लातेहार के बरवाडीह थाना के अमवाटीकर और कटिया जंगल क्षेत्र में माओवादियों के विरूद्ध चलाये जा रहे अभियान के दौरान शहीद हो गये थे। शुक्ला ने शहीदों के प्रति सामाजिक दायित्व की चर्चा करते हुए उनकी कुर्बानियों को अमूल्य बताया और कहा कि भारत की भूमि वीरों की भूमि है। जिन्होंने देश के लिए शहादत दी है हम उन्हें सदैव स्मृत रखें, इनके परिवार इनके परिजन सदैव हमारे लिए पूजनीय है।
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