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दुमका में निकाली गयी भगवान जगन्नाथ की उल्टी रथ यात्रा

Updated: 5 days ago


दुमका। दुमका में इस्कॉन द्वारा भगवान जगन्नाथ की उल्टी रथ यात्रा का आयोजन किया गया था यात्रा बड़ा बांध परिसर से शुरू होकर विभिन्न मागों से होते हुए वापस शहर के गिलानपाड़ा स्थित राधा माधव मंदिर पहुंची। इस दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जो भक्ति भाव से हरे राधा, हरे कृष्णा गाते हुए रस्सी को खींच रहे थे। भगवान जगन्नाथ, भगदान बलराम और बहन सुभद्रा की प्रतिमाए रथ पर विराजमान थीं और भक्तों को दर्शन दे रही थीं। इस्कॉन के प्रबंधक सत्यवाक दास ने बताया कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा एक प्रमुख धार्मिक उत्सव है जिसमें भगवान आपने भक्तों के साथ मिलते हैं।



उल्टी रथ यात्रा को कहा जाता है बहुदा यात्रा

जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत प्राचीन काल से मानी जाती है, जिसका उल्लेख ब्रह्म पुराण, पद्म पुराण और स्कंद पुराण में मिलता है। पुरी (ओडिशा) में, रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है, जहाँ वे नौ दिन रहते हैं। इसके बाद, देवताओं की वापसी यात्रा को उल्टी रथ यात्रा या बहुदा यात्रा कहा जाता है, जिसमें वे वापस अपने मुख्य मंदिर लौटते हैं। इस्कॉन भी इसी परंपरा का पालन करता है।

रथ खींचने से मिट जाता है व्यक्ति का पाप

उल्टी रथ यात्रा का धार्मिक महत्व यह है कि यह भगवान के भक्तों के बीच से वापस अपने निवास स्थान लौटने का प्रतीक है। मान्यता है कि इस यात्रा में भाग लेने या रथ खींचने से व्यक्ति के पाप मिटते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह सेवा, भक्ति और भगवान के प्रति समर्पण का उत्सव है। पुरी की तरह, इस्कॉन के मंदिरों में भी यह परंपरा वैश्विक स्तर पर मनाई जाती है, जिससे भक्तों को भगवान के दर्शन और सेवा का अवसर मिलता है।


 
 
 

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