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हिंदी की लेखिका गीतांजलि श्री को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार



हिंदी के लिए गर्व की बात पहली बार हिंदी साहित्य के लिए किसी को बुकर सम्मान मिला है. लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' को अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज मिला है. इसे डेजी रॉकवेल ने ट्रांसलेट किया है. यह विश्व की उन 13 पुस्तकों में शामिल थी, जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए लिस्ट में शामिल किया गया था. यह हिंदी भाषा में पहला ‘फिक्शन’ है जो इस प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार की दौड़ में शामिल था.



'टॉम्ब ऑफ सैंड' प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा की पहली किताब बन गई है. गुरुवार को लंदन में एक समारोह में लेखिका ने कहा कि वह "बोल्ट फ्रॉम द ब्लू" से "पूरी तरह से अभिभूत" थीं. उन्होंने 50,000 GBP का अपना पुरस्कार लिया और पुस्तक के अंग्रेजी अनुवादक, डेजी रॉकवेल के साथ इसे साझा किया.


गीतांजलि श्री ने मंच पर कहा "मुझसे कहा गया था कि यह लंदन है और मुझे यहां हर तरह से तैयार होकर आना चाहिए. यहां बारिश हो सकती है, बर्फ़ गिर सकती है, बादल भी घिर सकते हैं, धूप भी निकल सकती है. और शायद बुकर भी मिल सकता है. इसलिए मैं तैयार होकर आयी थी पर अब लगा रहा है जैसे मैं तैयार नहीं हूं. बस अभिभूत हूं."



हम आपको बता दें गीतांजलि श्री हिंदी की पहली ऐसी लेखिका हैं जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला है. यह पुरस्कार उनके 5उपन्यास 'रेत समाधि' के अंग्रेज़ी अनुवाद 'टूंब ऑफ़ सैंड' के लिए दिया गया. इसका अनुवाद प्रसिद्ध अनुवादक डेज़ी रॉकवाल ने किया है.





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