मुखिया, पंचायत सेवक, रोजगार सेवक और कनीय अभियंता पर दर्ज होगी प्राथमिकी
दुमका. संथाल परगना के आयुक्त चंद्रमोहन कश्यप ने लगभग तीन लाख रुपये के गबन के मामले में जामताड़ा जिला के फतेहपुर प्रखण्ड के बीडीओ मुकेश कुमार बाउरी, सहायक अभियंता मृत्युंजय सिंह मुण्डा और तत्कालीन बीपीओ वाणीव्रत मित्रा के विरूद्ध प्रपत्र ’क’ गठित करते हुए अनुशासनिक कार्रवाई करने की अनुशंसा की है. इस मामले में आयुक्त ने तत्कालीन पंचायत सचिव भरत मंडल, तत्कालीन रोजगार सेवक राज किशोर झा, तत्कालीन कनीय अभियंता बलदेव वानरा एवं बानरनाचा की मुखिया श्रीमती मालती मुर्मू मुखिया के खिलाफ सरकारी राशि की गबन को लेकर थाना में प्राथमिकी दर्ज करने और इन्हें सेवामुक्त करने का आदेश भी दिया है.
जाँच प्रतिवेदन के आलोक में संज्ञान लेते हुए प्रमण्डलीय आयुक्त द्वारा वित्तीय अनियमितता एवं गबन में अपरोक्ष रूप से सम्मलित एवं अपने कर्त्तव्यों का समुचित निर्वहन न करने, लापरवाही बरतने हेतु फतेहपुर बीडीओ मुकेश कुमार बाउरी, तत्कालीन सहायक अभियंता मृत्युंजय सिंह मुण्डा एवं तत्कालीन प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी वाणीव्रत मित्रा के विरूद्ध प्रपत्र - ’क’ गठित करते हुए अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा एवं सेवामुक्ति की कार्रवाई करने का निदेश जामताड़ा के उपायुक्त एवं उप विकास आयुक्त को दिया गया है.
इस मामले में आयुक्त ने वित्तीय अनियमितता के सीधे दोषी तत्कालीन पंचायत सचिव भरत मंडल (सेवानिवृत), तत्कालीन रोजगार सेवक राज किशोर झा (फतेहपुर प्रखंड में पदस्थापित), तत्कालीन कनीय अभियंता बलदेव वानरा (सरायकेला खरसावाँ जिला में पदस्थापित) एवं बानरनाचा पंचायत की मुखिया श्रीमती मालती मुर्मू के विरूद्ध अविलम्ब सरकारी राशि के गबन के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करते हुए सेवामुक्ति एवं प्रपत्र - ‘क’ गठित कर विभागीय कार्यवाही प्रारम्भ करने हेतु निदेशित किया है. आयुक्त ने उक्त का अनुपालन प्रतिवेदन एक सप्ताह के अन्दर मांगा है. आयुक्त के द्वारा इसकी सूचना ग्रामीण विकास विभाग को भी उपलब्ध करायी गयी है.
उपमुखिया के परिवाद पत्र पर हुई कार्रवाई
दरअसल जामताड़ा जिला के फतेहपुर प्रखण्ड के बानरनाचा पंचायत की उप मुख्यिा श्रीमती कौशल्या देवी ने योजनाओं में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए पिछले दिनों आयुक्त को एक परिवाद पत्र सौंपा था. इसय परिवाद के आलोक में आयुक्त के आदेश पर प्रमण्डल स्तर पर गठित जाँच दल द्वारा वर्णित चार योजनाओं की जाँच की गयी. जांच में इन योजनाओं में कुल 2,93,487.00 रू0 राशि का गबन पाया गया. जांच क्रम में पाया गया कि योजनाओं के अभिलेखों का संधारण भी उचित तरीके से नहीं किया गया है.
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