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बच्चों से 8 से 12 घंटे तक लिया जाता था काम


बालगृह भेजा गया एक बालक, तीन बालकों को किया गया परिवार के हवाले

दुमका। बाल कल्याण समिति के सदस्य डॉ० राजकुमार उपाध्याय ने बताया कि बाल श्रम करते हुए रेस्क्यू किये गये चार में से तीन बालकों को उनके माता-पिता के हवाले कर दिया गया है जबकि बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का रहनेवाला 13 वर्षीय बालक को श्रीअमड़ा स्थित बालगृह में आवासित कर दिया गया है। दुमका के प्राईवेट बस स्टैण्ड के सामने छोला-भटुरा के एक ठेले से रेस्क्यू किये गये इस बालक को मुजफ्फरपुर से दो माह पहले दुमका लाया गया था। उससे प्याज कटवाया जाता था और ग्राहकों को छोला-भटुरा की थाली दिलवायी जाती थी। उससे सुबह 5 बजे से शाम 5 बजे तक काम लिया जाता था। रेस्क्यू किये गये तीन अन्य बालकों से भी 8 से 12 घंटे तक काम लिया जाता था। इनमें से दो बालक दुधानी के आश्रम स्कूल से ड्रॉपआउट हैं जबकि तीसरा शहर के एक सरकारी स्कूल में पढ़ रहा है। शहर के दुधानी इलाके में रहनेवाले इन तीन में से दो बालक अलग-अलग मोटरसाइकिल गैरेज में हेल्पर का काम करते हुए पाये गये जबकि तीसरा एक बैटरी दुकान में काम करता था। तीन में से एक बालक नशे का आदी भी पाया गया। काम के एवज में इन बालकों को नाम मात्र की मजदूरी दी जा रही थी जबकि सुबह से लेकर शाम तक उनसे काम लिया जा रहा था। बैटरी दुकान में एक माह से काम कर रहे बालक के पिता को हाल में ही पर्व में दुकान के मालिक ने एक हजार रुपये दिये थे। समिति ने डीसीपीओ से इन चारों बालकों का सामाजिक जांच रिपोर्ट मांगा है और इन बालकों को नियोजित करनेवालों को भी अगली तिथि पर सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। सदस्य डा उपाध्याय ने बताया कि जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद इन बालकों को मिशन वात्सल्य के तहत स्पॉनसरशिप स्कीम से जोड़ा जा सकता है ताकि भविष्य में ये दोबारा बाल मजदूरी नहीं करें और अपनी पढ़ाई जारी रखकर बेहतर नागरिक बनें।

 
 
 

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