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आदिवासी सेंगेल अभियान के दुमका जोनल हेड बर्नाड हांसदा की अच्छी पहल

सबीर अंसारी/रानीश्वर (दुमका)



हड़िया त्याग कर निर्मल जल से हुई संताल युवक-युवती की शादी

दुमका जिले के रानेश्वर प्रखण्ड के सालतोला गांव के शिवाली मुर्मू की बापला (शादी ) गांव में ही जादु टुडू से हुई। यह शादी इस मायने में खास मानी जा रही है कि इस शादी मे हड़िया को त्यागकर निर्मल जल का इस्तेमला किया गया हैं। आदिवासी सेंगेल अभियान के दुमका जोनल हेड बर्नाड हांसदा ने गुरुवार को बताया कि उनकी उपस्थिति में शादी का सभी रस्में पूरा करते हुए पारसी जीतकारिया दिशोम गोमके सालखन मुर्मू के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे समाज सुधार की दृष्टिकोण से हड़ियां का सेवन को त्यागकर नवा डाहार- बेरेल दारूअ (निर्मल जल) से सिंदूर दान शादी (सागुन बापला) समपन्न हुआ। इसके बाद जुमिद् बाखेण (एकता प्रार्थना) अदा किया गया। सागुन बापला (शादी) समारोह में आदिवासी सेंगेल अभियान के दुमका जोनल हेड बार्नाड हांसदा, जिला उपाध्यक्ष रमेश टुडू, रूबिन टुडू, गोनाधन मुर्मू,घ्घ् ढेबा हांसदा, अभिलास टुडू जोगमंझी, सुनील हांसदा, सोम मुर्मू, चातुर मुर्मू आदि मौजूद थे।

विवाह से लेकर मृत्यु भोज में हड़िया पिलाने की परंपरा

संताल समाज में हड़िया एक पारंपरिक चावल से बनी शराब है जो धार्मिक और सामाजिक अवसरों पर पी जाती है। हड़िया, जिसे ‘‘पोचोय’’ भी कहा जाता है, संथालों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह न केवल एक पेय है, बल्कि यह एक सामाजिक बंधन भी है जो लोगों को एक साथ लाता है। यह संथाल समुदाय का एक अभिन्न अंग है। हड़िया का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों और त्योहारों में भी किया जाता है। हड़िया का सेवन बाहा पर्व और सोहराय जैसे त्योहारों, विवाहों, जन्म, मृत्यु भोज और अन्य महत्वपूर्ण समारोहों में किया जाता है।

 
 
 

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