दुमका। सीपीआईएम की पोलित ब्यूरो सदस्य एवं पूर्व सांसद वृंदा करात ने कहा कि नागरिक आजादी की रक्षा और वंचितों के अधिकारों लिए संघर्ष जब तक जारी रहेगा फादर स्टेन स्वामी उस संघर्ष के प्रतीक बने रहेंगे। मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ उनका प्रतिरोध एक गौरवपूर्ण साहसिक कार्य रहा है। इसलिए आज नागरिक अधिकारों पर जो हमले हो रहें हैं उसके खिलाफ प्रतिरोध की एक मजबूत दीवार खड़ी करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। वह फादर स्टेन स्वामी की याद मे दुमका के ले माई हवेली में गुरूवार को आयोजित स्मृति सभा को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि जिस तरह एनआईए के हिरासत मे इस 84 वर्षीय वृद्ध और बीमार व्यक्ति की मौत हुई है, वह एक खतरे का संकेत है जिसमें यह धमकी भी छिपी हुयी है कि कोई भी व्यक्ति यदि दिल्ली की गद्दी पर पर बैठे हुक्मरानों का विरोध करेगा उसका अंत फादर स्टेन स्वामी की तरह ही होगा। उन्होने कहा कि अगले दो दिनों के बाद हम आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाएंगे। लेकिन इस आजादी को प्राप्त करने के महासमर मे इस देश के किसानों, मजदूरों और अन्य लोगों ने जो बलिदान दिए आज उनके वंशजों को सत्ता मे बैठी भाजपा सरकार देशद्रोही करार दे रही है। जो लोग ब्रिटिश सरकार की दलाली कर रहे थे आज तिकड़म कर सत्ता मे आने के बाद अपने को देश भक्त साबित करने की हास्यास्पद कोशिश कर रहें है। बगीइचा, रांची से आए फादर टोनी ने विस्तार से फादर स्टेन स्वामी के कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश मे गरीबों के पक्ष मे मजबूती से खड़ी होने वाली एकमात्र पार्टी माकपा ही है जो अपने सीमित साधनों से ही मेहनतकशों के अधिकारों के लिए लड़ रही है। जोहार के फादर मनु बेसरा ने लोकतंत्र पर छाए गहरे तमस पर चिंता व्यक्त करते हुए साझा पहलकदमी की आवश्यकता पर बल दिया। सभा को आदिवासी अधिकार मंच के सुभाष हेम्ब्रम, प्रफुल्ल लिंडा और सुखनाथ लोहरा ने भी संबोधित किया। स्मृति सभा के प्रारंभ मे फादर स्टेन स्वामी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। स्मृति सभा की अध्यक्षता माकपा के दुमका जिला सचिव एहेतेशाम अहमद ने की जबकि माकपा सचिवमंडल के सदस्य प्रकाश विप्लव के परिचयात्मक संबोधन दिया।
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