
देवघर हवाई अड्डा का नाम अमर शहीद वीर सिदो-कान्हू मुर्मू एयरपोर्ट करने का हुआ मांग
दुमका । अखिल भारतीय संताली लेखक संघ के झारखंड शाखा का 12वां वार्षिक सम्मेलन रविवार को दुमका के इंडोर स्टेडियम में आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में झारखण्ड विधान सभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने सिदो-कान्हू, फूलो-झानो, रघुनाथ मुर्मू, और रामदास टुडु रास्का के तस्वीर पर माल्यार्पण कर इसका उद्घाटन किया। संघ ने झारखंड में संताल अकादमी का गठन करने, संताली भाषा को भाषाई अल्पसंख्यक की मान्यता देने, संताली भाषा के लिए ओलचिकी लिपि को मान्यता देने, प्राथमिक विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक संताली भाषा का पठन-पाठन ओलचिकी लिपि में लागू करने, झारखंड लोक सेवा आयोग में संताली भाषा का प्रश्न पत्र में ओलचिकी लिपि में देने, होड़-संवाद सप्ताहिक पत्रिका झारखंड सरकार की ओर से ओलचिकी लिपि में प्रकाशित करने, राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति 2020 की निर्देशिका संताली भाषा और ओलचिकी लिपि में प्रकाशित करने, झारखंड के सभी रेलवे स्टेशनों का नाम ओलचिकी लिपि में लिखने एवं यात्री सूचनाएं संताली भाषा में उद्घोषणा करने, प्राथमिक विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक संताली शिक्षकों का बहाली करने, सभी विश्वविद्यालयों में अलग संताली विभाग स्थापित करने, प्रस्तावित जनजाति विश्वविद्यालय का नामकरण प्रसिद्ध संताली लेखक मांझी रामदास टुडू रास्का के नाम से करने, देवघर हवाई अड्डा का नाम अमर शहीद वीर सिदो-कान्हू मुर्मू एयरपोर्ट करने, वैशाख पूर्णिमा पंडित रघुनाथ मुर्मू जयंती के अवसर पर झारखंड में एक दिन की राजकीय अवकाश घोषित करने की मांग की।

स्पीकर ने संघ के सभी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया। विशिष्ट अतिथि के रुप में संताली सलाहकार समिति साहित्य अकादमी नई दिल्ली के संयोजक मदन मोहन सोरेन, अखिल भारतीय संताली लेखक संघ केंद्रीय कमिटी के अध्यक्ष लक्ष्मण किस्कु, महासचिव रविंद्र नाथ मुर्मू,

शाखा कमिटी पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष टुरिया चांद बास्की, सचिव दिजो पद हांसदा, उड़ीसा के अध्यक्ष सरोज कुमार सोरेन, सचिव अर्जुन मरांडी, बिहार के अध्यक्ष सिल्वेस्टर मरांडी, सचिव ढुरू मुर्मू, विश्व भारती शान्ति निकेतन संताली शिक्षा विभाग के डॉ रामु हेम्ब्रम, संताल एकेडमी सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के निर्देशक सुजीत सोरेन, दुमका दिशोम मांझी बाबा बालेश्वर हेंब्रोम, आसेका झारखंड के अध्यक्ष सुभाष चंद्र मांडी, महासचिव शंकर सोरेन, श्याम बेसरा,

चुण्डा सोरेन सिपाही, भैया हांसदा चासा, मंगल मांझी, होलीका मरांडी, शिव लाल मरांडी, तेज नारायण मुर्मू, ज्ञानरंजन मुर्मू, भुजंग टुडू, मोहन चंद्र बास्के आदि ने संताली भाषा साहित्य की विकास और भाषा साहित्य की विकास में संताली लिपि ओलचिकी लिपि की आवश्यकता आदि के बारे में विस्तृत रूप से विचार व्यक्त किया। सम्मेलन में मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथि द्वारा लगभग 20 लेखकों का पुस्तक विमोचन किया गया। यहां 15 बुक स्टॉल भी लगाया गया था। इस सम्मेलन विशेष प्रकार से सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रस्तुति किया गया।


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