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अब दुमका में ही तैयार होंगे कड़कनाथ व सोनाली मुर्गे

Writer: Santhal Pargana KhabarSanthal Pargana Khabar


डीसी ने सखी मंडल द्वारा संचालित हार्डेनिंग सेंटर का किया निरीक्षण

दुमका। उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला ने बुधवार को जेएसएलपीएस के तहत दुमका प्रखंड के आसनसोल ग्राम में सखी मंडल के द्वारा संचालित हार्डेनिंग सेंटर का निरीक्षण किया गया। हार्डेनिंग सेंटर में सोनाली एवं कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गों के चुजे की फार्मिंग की जा रही है। इस दौरान जेएसएलपीएस के प्रतिनिधि के द्वारा अवगत कराया गया कि सोनाली नस्ल के चूजे 3 से साढ़े तीन माह में एवं कड़कनाथ नस्ल के चूजे 6-6.5 माह में बड़े हो जाते हैं। इस प्रजाति के मुर्गे एवं इसके अण्डों की बाजार में काफी मांग रहती है। सखी मंडल की सदस्य एवं पशु मित्र पूनम देवी इस आजीविका से जुड़कर आर्थिक रूप से काफी सुदृढ़ एवं समृद्ध हुई हैं। उपायुक्त ने कहा कि जेएसएलपीएस के तहत संचालित ऐसे हार्डनिंग सेंटरों का उचित ब्राण्डिंग किया जाय एवं इससे उत्पादित मुर्गे-मुर्गियों, अण्डों की बिक्री एवं प्रचार-प्रसार की भी उचित व्यवस्था की जाय। हार्डेनिंग सेंटरों का उचित प्रचार-प्रसार होने से इसकी बिक्री दूसरे जिलों/राज्यों में भी की जा सकेंगी।

क्यो खास होता है कड़कनाथ मुर्गा

कडकनाथ मूल रूप से मध्यप्रदेश के झाबुआ से मुर्गे की एक प्रजाति है। इनके मांस मे चरबी कम व प्रोटीन अधिक होता है। इसे काफी स्वास्थ्यप्रद माना जाता है। इसमें सामान्य मुर्गे की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत तक प्रोटीन अधिक होता है। इन मुर्गों की खासियत है इनका रंग। कड़कनाथ मुर्गियां और मुर्गे देखने में काले होते हैं। इनका पूरा शरीर, चोंच का अंदरूनी हिस्सा, हड्डियां, मांस, खून सभी काले रंग का होता है। लेकिन अंडा सफेद ही होता है लेकिन इनके अंडे का छिल्का देसी मुर्गी के अंडे से थोड़ा मोटा और सख्त होता है मतलब इस के अंडे का छिल्का इतना मोटा होता है उसका एक टुकड़ा आप की ऊँगली या त्वचा पर घाव बना सकता है।



 
 
 

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