हंसडीहा में चार दिनों तक नाबालिग पीड़िता को थाना में रखा गया
पोक्सो मामले में जरमुण्डी थाना प्रभारी ने छह दिनों बाद किया एफआईआर
दुमका। बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट, बाल कल्याण समिति, दुमका ने पीड़िता को चार दिनों तक थाना में रखने और आवेदन देने के बावजूद काफी विलंब से पोक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के दो अलग-अलग मामलों में हंसडीहा थाना के अनुसंधानकर्ता और जरमुण्डी थाना प्रभारी को सो काउज किया है। 22.08.2023 को काण्ड सं0-62/2023 की पीड़िता 16 वर्शीय नाबालिग को पु0अ0नि0 सह केस के अनुसंधानकर्ता राम विनय दुबे के द्वारा बाल कल्याण समिति, दुमका समक्ष प्रस्तुत किया गया था। बालिका की मां ने अपने बयान में बताया है कि उसकी बेटी को 18.08.23 की शाम 4ः30 बजे से लेकर 22.08.23 की सुबह 9 बजे तक यानि चार दिनों तक पीड़िता को थाना में ही रखा गया जबकि किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत चाइल्ड को 24 घंटे के अंदर बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
दूसरा मामला जरमुण्डी थाना का है जिसमें 26.08.2023 को काण्ड सं0-57/2023 की पीड़िता 16 वर्षीय नाबालिग को पु0अ0नि0 तेज प्रताप सिंह के द्वारा बाल कल्याण समिति, दुमका समक्ष प्रस्तुत किया गया। बालिका के पिता ने बताया है कि उसकी बेटी 02.08.2023 को स्कूल जाने के बाद एक लड़के के साथ भाग गयी थी जिसकी लिखित सूचना उन्होंने दिनांक- 03.08.2023 को जरमुण्डी थाना में दी। लेकिन थाना प्रभारी द्वारा छह दिनों बाद दिनांक- 09.08.2023 को इस मामले में भादवि की धारा 366ए एवं पोक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी।
चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि बाल कल्याण समिति ने हंसडीहा थाना के केश के अनुसंधानकर्ता और जरमुण्डी थाना के थाना प्रभारी को नोटिस के प्राप्त होने के तीन कार्य दिवस के अंदर बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट, बाल कल्याण समिति, दुमका के समक्ष सशरीर हाजिर होकर इस मामले में लिखित स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों नहीं कि किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) मॉडल रूल 2016 के रूल 93 के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए वरीय पदाधिकारियों को रिपोर्ट कर दिया जाए। नोटिस की प्रतिलिपि दुमका के एसपी और डीएसपी (मुख्यालय) सह एसजेपीयू को भी भेजी गयी है।
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