Santhal Pargana Khabar

Sep 3, 20232 min

पुलिस गाड़ी से घायल बालक के मामले में सीडब्ल्यूसी ने लिया स्वतः संज्ञान

नर्सिंग होम में जाकर बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट ने बालक का लिया प्रोडक्सन

दुमका। बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट बाल कल्याण समिति दुमका ने रसिकपुर में महिला थाना के जिप्सी के चपेट में आकर एक बालक के गंभीर रूप से घायल होने के मामले में स्वतः संज्ञान लिया है। चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा और डॉ राज कुमार उपाध्याय ने किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण अधिनियम) 2015 की धारा 30 (12) के तहत इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया और रविवार की सुबह अशोका लाईफ केयर नर्सिंग होम में जाकर वहां इलाजरत चार वर्षीय बालक का प्रोडक्सन लिया। मछली का व्यवसाय करनेवाले बालक के पिता ने बताया कि उसे फोन पर सूचना मिली कि थाना की जीप ने आरएस होटल के पास उसके बेटे के पैर पर गाड़ी चढ़ा दिया है। अस्पताल में चिकित्सक ने बताया कि बच्चे के पैर में जख्म है और पैर टूट गया है। अस्पताल में डीएसपी आये और उन्होंने भरोषा दिया कि बच्चे के इलाज का पूरा खर्च पुलिस वहन करेगी। उन्होंने बताया कि अबतक बच्चे का जो भी जांच व इलाज हुआ है, उसका खर्च पुलिस द्वारा ही वहन किया गया है। बालक की मां ने बताया कि शनिवार की शाम करीब छह बजे उसका सबसे छोटा बेटा पड़ोस के लड़कों के साथ खेलने के दौरान सड़क पर चला गया और पुलिस जीप ने उसे धक्का मार दिया। वह अपनी सास के साथ जब मौके पर पहुंची तो एक व्यक्ति उसके घायल बेटे को गोद में उठाये हुए था। बेटे को गंभीर रूप से घायल देखकर वह और उसकी सास दोनों बेहोश हो गये। उसके बेटे का बांया पैर जांघ के पास से टूट गया है जिसे डा तुषार ज्योति के क्लीनिक में जोड़ कर अभी कच्चा प्लास्टर किया गया है। बेटे के सिर में भी चोट आयी है, 3 स्टीच किया गया है और पीजेएमसीएच में सिटी स्कैन करवाया गया है। बाद में उसे पता चला कि महिला थाना की गुलाबी रंग की जीप ने उसके बेटे को धक्का मारा था। समिति ने बच्चे के ठीक होने पर उसे समिति के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। चेयरपर्सन डा अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि मेडिकल डोक्युमेंट के मुताबिक बच्चे की स्थिति ठीक है। उसका इलाज चल रहा है और इसमें पुलिस सहयोग कर रही है। इस मामले में प्राथमिकी दर्ज किया जाना चाहिये ताकि परिवार को न्याय और मुआवजा राशि मिल सके। इसके लिए समिति जिले के एसपी एवं डीएसपी (मुख्यालय) सह एसजेपीयू से संपर्क कर वस्तुस्थिति की जानकारी प्राप्त करेगी और बालक के सर्वोत्तम हित में जरूरी सभी कदम उठाएगी।

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