Santhal Pargana Khabar
Oct 13, 20212 min
Updated: Oct 15, 2021
नवरात्र में मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद दशहरा का उत्सव मनाया जाता है। दशहरा को विजयादशमी या आयुधपूजा के नाम से भी जाना जता है। दशहरा का पर्व हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 15 अक्टूबर दिन शुक्रवार है। इस दिन देवी जया और विजया की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं क्यों मनाया जाता है दशहरा का त्योहार और क्या है इसके पीछे की वजह…
रावण ने देवी सीता का हरण कर लिया था। देवी सीता जो एक महारानी थी, जब उनका हरण रावण कर सकता था तो अन्य स्त्रियों की उस समय क्या स्थिति रही होगी। नारी जाति के सम्मान और मर्यादा की रक्षा के लिए भगवान राम ने अधर्म और अन्यायी रावण को युद्ध के लिए ललकारा और दस दिनों तक रावण से द्वंद युद्ध किया। आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को भगवान राम ने मां दुर्गा से प्राप्त दिव्यास्त्र की सहायता से रावण का वध कर दिया। रावण का अंत दस सिर वाले रावण का अंत था। इसे असत्य पर न्याय और सत्य की जीत के उत्सव के रूप में मनाया गया। रावण पर राम को विजय प्राप्त हुई थी इसलिए यह तिथि विजया दशमी कहलाई। दस सिर वाला रावण इस दिन हारा था इसलिए इसे दशहरा और लोक भाषा में दसहारा भी कहते हैं।
महाभारत युद्ध से पहले एक और महायुद्ध हुआ था जिसे अर्जुन ने अकेले ही लड़ा था। एक तरफ कौरवों की विशाल सेना थी और दूसरी तरफ अकेला अर्जुन। यह युद्ध विराट के युद्ध नाम से इतिहास में दर्ज है। अपने अज्ञातवश के अंतिम दिनों में अर्जुन ने यह युद्ध महाराज विराट के लिए लड़ा था जिनके राज्य में उन्होंने अपना अज्ञातवास बिताया था। कौरवों के असत्य पर यह पांडवों के धर्म की जीत थी। पांडवों के विजय के रूप में भी दशहरा को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।
नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा होती है। लेकिन बिना योगिनियों की पूजा के देवी की पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है। इसलिए विजया नक्षत्र में देवी की योगिनी जया और विजया आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को होती है। ये दोनों योगनियां अपारजित हैं इन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता इसलिए अपराजिता देवी के रूप में भी इनकी पूजा होती है। दशमी तिथि को विजया देवी की पूजा होने की वजह से दशहरा को विजया दशमी कहा जाता है।
प्राचीन काल राजागण दशहरे को विजया उत्सव के रूप में मनाते थे। इस दिन राजा विजया देवी की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। विजयादशमी के दिन राजा अपनी सीमा को बढ़ाने के लिए दूसरे देश के राजाओं पर आक्रमण भी किया करते थे। वर्तमान समय में भी विजयदशमी का दिन सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन किसी भी तरह के शुभ कार्य को किया जा सकता है।